छोटे छोटे सवाल –२०
लालाजी बड़े असमंजस में पड़े। दोनों अपने अपने पाले पर दृढ़ हैं। कोई हिलने को तैयार नहीं। तभी उन्हें ध्यान आया कि मावले के ठाकुर साहब से उन्होंने वादा किया था। कहीं उनके लड़के को लेकर भी तो इनमें मतभेद नहीं हो गया है। बोले, "अच्छा भय्या, जरा ये तो बताओ, दूसरा मास्टर कौन-सा पक्का हुआ?"
लालाजी के इस प्रश्न पर चौधरी नत्थूसिंह और गनेशीलाल दोनों ही एक साथ चौंक पड़े। गनेशीलाल का सबसे छोटा भाई इंडसाल का काम करता था और उसको सबसे ज़्यादा माल मावले के ठाकुर साहब के ही गाँव से मिलता था। गनेशीलाल ने सोचा, उस पोस्ट के लिए राजेश्वर की बात तो पहले ही पक्की हो चुकी है। फिर उसे दुबारा उठाकर लाला हरीचन्द किसी और को तो नहीं लेना चाह रहे ? लगभग इसी तरह की शंका चौधरी नत्थूसिंह के मन में भी आई जिनके बड़े लड़के की नई-नई होम्योपेथी की प्रेक्टिस को मावले के ठाकुर साहब द्वारा काफी मरीज मिल रहे थे। अतः फौरन बोले, "उसके लिए तो हम सब एक राय होकर राजेश्वर ठाकुर को पहले ही चुन चुके हैं। बड़ा अच्छा लड़का है।"
गनेशीलाल ने भी ताईद की तो लालाजी फ़ौरन बोले, "अरे हाँ, वो लौंडा। अच्छा है, बहुत अच्छा है।" फिर जैसे कुछ निर्णय की मुद्रा में आते हुए बोले, "हाँ तो भय्या गनेसीलाल, दूसरे मास्टर के लियो तुम सोत्ती का नाम ले रये हो और भय्या नत्थूसिंह तुम उसका, क्या नाम है, कोतवाल साहब के भानजे का? यही न?" “जी हाँ," दोनों ने लगभग एक साथ सहमति दी। राजेश्वर ठाकुर के चुने जाने पर दोनों ने ही चैन की एक लम्बी सांस ली थी। "तो भय्या, मेरी बात मानोगे ? लालाजी ने पूछा। "जी," दोनों ने उत्तर दिया।